EK BINDU MAIN, DHARA TUM SWANS MAIN JEEVAN BHARA TUM. TUM HRIDAY TUM PRAN MERE. YUG ANANTO KI VARA TUM... EK BINDU MAIN.. DHARA TUM..

Wednesday, May 6, 2009

आग बनते देखिये

आग बनते देखिये

बिखरी हुई चिंगारियों को

विष उगाते देखिये

इन स्नेह सिंचित क्यारियों को...

नगन होते देखिये

नैतिक नियम जो सर ढके थे

पूजते थे सर झुका हम

बाल जो अनुभव पके थे..

देखते है वक्र दृष्टि ले

सभी वय नारियों को

आग बनते देखिये

बिखरी हुई चिंगारियों को...

देखिये इन बन्धनों को

सौम्यता इनमें कहाँ है

बोध है वो भी अधूरा

गम्यता इनमें कहाँ है..

है स्वयं मैं जो निहित

उन चीखती किलकारियों को

आग बनते देखिये

बिखरी हुई चिंगारियों को...

है कहाँ सम्मान इनमें

कौन सा ईमान इनमें

सोचते है क्षण यही एक

है बसे बस प्राण इनमें..

प्रश्न इनके बेधते है ..

माँ ह्रदय सिसकारियों को..

आग बनते देखिये

बिखरी हुई चिंगारियों को..

चाह थी चिंगारियों से

तम जलेगा दूर होगा ..

है छुपा जो अहं जग मैं

ताप से सब चूर होगा..

स्तब्ध होकर तक रहा हूँ

राख इन फुलवारियों को ..

आग बनते देखिये

बिखरी हुई चिंगारियों को..

3 comments:

  1. bikhari hui chingari kafi acchi lagi basss thodaa alfaz per dhyan do

    ---"eksacchai "

    http://eksacchai.blogspot.com

    ReplyDelete
  2. हृद्स्पर्शी....

    क्यों न सींचें आप-हम मिल शुष्क होती क्यारियों को?

    divyanarmada.blogspot.com

    ReplyDelete