EK BINDU MAIN, DHARA TUM SWANS MAIN JEEVAN BHARA TUM. TUM HRIDAY TUM PRAN MERE. YUG ANANTO KI VARA TUM... EK BINDU MAIN.. DHARA TUM..

Wednesday, May 6, 2009

समर्पण

समर्पण ओढे

किनारे पर मैं करती रही इन्तेजार!

तुम भी आते रहे

जब जी किया,

मुझे भीगाते रहे,

और फिर

बेपरवाह , बेफिक्र जाते रहे …..

बार- बार मुझे सुखाता रहा

मेरा ही दर्प,

मैं फिसलती गयी

सुनहरे समय की मुठ्ठियों से

और देखो!

कैसे बिखर गया है

तुम्हारे अथाह किनारों पर

मेरा कण कण

रेत बनकर.....

2 comments:

  1. सुंदर कविता
    आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
    रचना गौड़ ‘भारती

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