EK BINDU MAIN, DHARA TUM SWANS MAIN JEEVAN BHARA TUM. TUM HRIDAY TUM PRAN MERE. YUG ANANTO KI VARA TUM... EK BINDU MAIN.. DHARA TUM..

Wednesday, October 7, 2009

उन्मुक्त चाह...

शुभ्र कुसुम मैं हो सुगंध

या शीतल मलयज मंद मंद

बन मेघों का मल्हार राग

या फिर अवनी के मधुर छंद

प्राणों मैं आकर बस जाना

एक प्रेम सुधा बरसा जाना

कर देना मुखरित अंग अंग

आलिंगन मैं रत संग संग

कुछ रास अनोखी नए ढंग

खुलती सांसों की राह तंग

उर कह दे जीवन पहचाना

एक प्रेम सुधा बरसा जानाले

ले हिम बिंदु से, धवल रूप

और तीक्ष्ण समय की सौम्य धूप

आच्छादित कर निज अंध कूप

मन दीन दयामय बने भूप

स्निग्ध चांदनी बन आना

एक प्रेम सुधा बरसा जाना

तत्पर हो तकना राह राह

भावों का ऐसा है प्रवाह

उद्दगम की कैसे मिले थाह

क्यों जगती है उन्मुक्त चाह

समझोगे तो समझा जाना

एक प्रेम सुधा बरसा जाना

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